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लेखनी प्रतियोगिता -27-Dec-2022 मुहब्बत की दुकान

गीत : 


बोलते आये जो अब तक , नफरतों की बोली है 
सुना है उन्होंने आजकल, मुहब्बत की दुकान खोली है 

सत्ता के बाजार पर वे , धाक कायम किये हुए हैं 
लोकतंत्र के आवरण में, माल "सामंती" लिये हुए हैं 
"मौत की सौदागिरी" से निकली फिर से गोली है 
सुना है उन्होंने आजकल, मुहब्बत की दुकान खोली है ।। 

"राम" से है बैर उनका, "रहीम" दिल में बसता है 
गाली दे देकर ही यारो, खाना दिन का पचता है 
झूठ की चादर बिछा के, बेइमानी की गठरी खोली है 
सुना है उन्होंने आजकल, मुहब्बत की दुकान खोली है ।। 

"खून की दलाली" जैसे मीठे, गीत गाते रहे हैं वे 
चौकीदार को चोर नामी , बतलाते आ रहे हैं वे 
लिबरलों के भेष में संग संग, नफरतियों की टोली है 
सुना है उन्होंने आजकल, मुहब्बत की दुकान खोली है ।। 

श्री हरि 
27.12.22 


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11 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Hari Shanker Goyal "Hari"

29-Dec-2022 10:59 PM

धन्यवाद जी

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बेहतरीन

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Hari Shanker Goyal "Hari"

29-Dec-2022 10:58 PM

धन्यवाद आदरणीय

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